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Uttarakhand High Court Shifting : नैनीताल से हाईकोर्ट शिफ्ट करने पर जानें क्या कहते हैं पक्ष-विपक्ष के दावे

Uttarakhand High Court Shifting : उत्तराखंड सरकार ने अपने राज्य के हाई कोर्ट को नैनीताल से हल्द्वानी शिफ़्ट करने के फ़ैसले पर मोहर लगा दी है। सरकार के इस फ़ैसले को लेकर पक्ष और विपक्ष अपने अपने दावे रख रहा है। नैनीताल से हाईकोर्ट को हल्द्वानी शिफ़्ट करने में क़रीब 73 हज़ार करोड़ रुपये खर्च होंगे। इस शिफ़्टिंग का विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि क़र्ज़ से डूबे राज्य उत्तराखंड के लिए यह ग़ैर-जरूरी है। विरोधियों ज़ोर देते हुए कह रहे हैं कि हाइकोर्ट शिफ़्ट करना नहीं बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्या, रोज़गार, सड़कें राज्य के लोगों की बुनियादी ज़रूरतें हैं।

इस फ़ैसले का विरोध करने वालों का यह भी कहना है कि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने राज्य की जनता से पहाड़ से नाता जोड़ते हुए वोट माँगे थे। लेकिन अब सरकार पहाड़ में मौजूद बड़ी संस्था को नीचे उतर अपनी असलियत लोगों को दिखा रही है। ग़ौरतलब है कि इस शिफ़्टिंग को लेकर राज्य के लोगों ने न माँग की है और न आंदोलन किया है।

क्या कहता है पक्ष और विपक्ष | Uttarakhand High Court Shifting: Pros and Cons

हाईकोर्ट को नैनीताल से हल्द्वानी शिफ़्ट करने के पक्ष के लोगों का कहना है कि हर रोज़ नैनीताल में हर रोज़ भारी तादाद में फरीयादी आते हैं, जिससे नगर में जाम लगता है। हालाँकि विरोधियों का कहना है कि हार्टकोर्ट में हर रोज़ 150 नए मामले आते हैं। वहीं पुराने मामले में फरियादियों या गवाहों को केस की तारीख़ में आना कम्प्लसरी नहीं है। ऐसे में इसका शहर में जाम लगने का कोई संबंध नहीं है।

शिफ्टिंग के पक्षकारों का कहना है कि फरियादियों को नैनीताल के महँगे होटल में रहना और खान पड़ता है। वहीं विपक्ष का कहना है कि नैनीताल में कई छोटे और किफ़ायती होटल और धर्मशालाएँ मौजूद हैं। इसके साथ ही हाईकोर्ट की कैंटीन में भी कम क़ीमत में खाना मिलता है। ऐसे में यह तर्क सही शिफ़्टिंग के मूफीद नहीं लगता है। यह भी पढ़ें : उत्तराखंड में महिलाओं को 30% नौकरी कोटा देने वाले विधेयक पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा, यहां जानें डिटेल में सबकुछ

कुछ लोगों का कहना है नैनीताल में स्वास्थ्य सेवाओं की कमी है। इसके चलते न्याधीशों और फरियादियों को परेशानी हो सकती है। इस तर्क के विरोध में बताया जा रहा है कि नैनीताल में 18 एकड़ में फैला जीबी पंत (रैमजे) अस्पताल है, जिसमें अच्छे डॉक्टर और कर्मचारी शामिल हैं। इसके साथ ही यहां डॉक्टर और कर्मचारियों के आवास, नर्स हॉस्टल, लॉन्ड्री, किचन, फ़ार्मेसी के साथ मरीज़ों के लिए प्राइवेट और जनरल वार्ड और ऑपरेशन थेएटर सब मौजूद हैं। लेकिन अस्पताल में आधुनिक सुविधाएं नहीं हैं।

हार्ट कोर्ट को शिफ्ट करने वाले यह भी तर्क देते हैं कि यहां 20 हज़ार से ज़्यादा एडवोकेट रजिस्टर्ड हैं। इसके चलते भी शहर में भीड़ बढ़ रही है। इस तर्क को ख़ारिज करते हुए विरोधियों का कहना है कि हाई कोर्ट बार एसोसिएशन में सिर्फ 3500 एडवोकेट रजिस्टर्ड हैं। बिना रजिस्टर किए एडवोकेट हाईकोर्ट में प्रैक्टिस नहीं कर सकते हैं। ये संख्या इतनी है कि इससे भीड़ बढ़ने का तर्क फिट नहीं बैठता है।

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