एच-1बी वीजा पर रोक लगा सकता है अमेरिका

Recent Changes To The H1B Visa Program And What Is Coming In 2019

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एच-1बी सहित कई ऐसे वीजा पर फिलहाल रोक लगाने की सोच रहे हैं जो विदेशों से रोजगार के लिए अमेरिका आने वालों को जारी किए जाते हैं. इसके पीछे की वजह कोरोना वायरस से अमेरिका में पैदा हुई भयानक बेरोजगारी मानी जा रही है. अगर ट्रंप प्रशासन ऐसा करता है तो इसका सबसे ज्यादा नुकसान भारतीय पेशेवरों को हो सकता है जिन्हें एच-1बी वीजा का सबसे ज्यादा फायदा मिलता है. अमेरिका में रह रहे हर चार एच-1 बी वीजाधारकों में से लगभग तीन भारतीय हैं. पहले ही इनमें से बहुत से लोगों की नौकरी जा चुकी है और वे या तो भारत आ चुके हैं या आने की तैयारी में हैं.
एच-1बी वीजा क्या होता है?
एच-1बी वीजा एक गैर-प्रवासी वीजा है. यह किसी कर्मचारी को अमेरिका में छह साल काम करने के लिए जारी किया जाता है. अमेरिका में कार्यरत कंपनियों को यह वीजा ऐसे कुशल कर्मचारियों को रखने के लिए दिया जाता है जिनकी अमेरिका में कमी हो. इस वीजा के लिए कुछ शर्तें भी हैं. जैसे इसे पाने वाले व्यक्ति को स्नातक होने के साथ किसी एक क्षेत्र में विशेष योग्यता हासिल होनी चाहिए. साथ ही इसे पाने वाले कर्मचारी की सैलरी कम से कम 60 हजार डॉलर यानी करीब 40 लाख रुपए सालाना होना जरूरी है.
इस वीजा की एक खासियत भी है कि यह अन्य देशों के लोगों के लिए अमेरिका में बसने का रास्ता भी आसान कर देता है, एच-1बी वीजा धारक पांच साल के बाद स्थायी नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं. इस वीजा की मांग इतनी ज्यादा है कि इसे हर साल लॉटरी के जरिये जारी किया जाता है. एच-1बी वीजा का सबसे ज्यादा इस्तेमाल टीसीएस, विप्रो, इंफोसिस और टेक महिंद्रा जैसी 50 से ज्यादा भारतीय आईटी कंपनियों के अलावा माइक्रोसॉफ्ट और गूगल जैसी बड़ी अमेरिकी कंपनियां भी करती हैं.
Source – Satyagrah
Shubham Singh
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शुभम सिंह - द न्यूज़ स्टॉल में न्यूज़ एडिटर है, जो देश -दुनिया की तमाम ख़बरों पर बराबर पकड़ रखते हैं। द न्यूज़ स्टॉल से पहले वे Zee News UP UK, News 18 UP में काम कर चुके हैं। अखबार पढ़कर दिन की शुरुआत करना शुभम की आदत है।

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