पंकज कपूर का नाम लेते ही मेरे जहन में सबसे पहले उनकी जो छवि उभरती है वो करमचंद जासूस की है जिसमें वो गाजर खाते नजर आते हैं। यह धारावाहिक दूरदर्शन के नेशनल चैनल पर अस्सी के दशक में दिखाया जाता था। पंकज कपूर भारत के जानेमाने नाटककार तथा टीवी व फिल्म अभिनेता हैं। वे अनेकों टीवी धारावाहिकों तथा फिल्मों में अभिनय कर चुके हैं।
बैकग्राउंड
पंकज कपूर का जन्म 29 मई 1961 को पंजाबी परिवार में लुधियाना के पंजाब में हुआ था। अभिनय में रूचि होने के कारण अपनी इंजिनीरिंग की पढ़ाई खत्म करके उन्होंने नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा में दाखिला ले लिया। यंहा उन्होंनें अभिनय की कई बारीकियां सीखी और उन्हें प्रशिक्षण के दौरान बेस्ट एक्टर अवार्ड से भी नवाजा गया।
दो शादियां कीं
पंकज कपूर की पहली शादी अभिनेत्री व नृत्यांगना नीलिमा अज़ीम से हुई थी। लेकिन उनकी यह शादी कुछ दिन चली। उसके बाद उनका अलगाव हो गया। उनके दो बेटे हैं। बॉलीवुड के अभिनेता शाहिद कपूर और रुहान कपूर। पंकज ने दूसरा विवाह अभिनेत्री सुप्रिया पाठक से किया।
करियर
कपूर ने अपने करियर की शुरुआत दूरदर्शन पर 80 के दशक में प्रसारित जासूसी धारावाहिक करमचंद से की थी। इस धारावाहिक में वे हमेशा गाजर खाते हुए नजर आते हैं। इसमें उनकी सेक्रेटरी किटी ने अपने अंदाज से भी दर्शकों का खूब मनोरंजन किया था। यह सीरियल काफी लोकप्रिय हुआ था।
गांधी की आवाज बने
पंकज ने आस्कर अवार्ड विजेता रिचर्ड अटेनबरो निर्देशित और 1982 में निर्मित फिल्म गाँधी में प्यारेलाल की संक्षिप्त भूमिका अदा की थी। फिल्म के हिन्दी संस्करण में गाँधी का किरदार निभा रहे बेन किंग्सले की डबिंग भी पंकज ने ही की थी। इस फिल्म की कास्टिंग में भी पंकज कपूर ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी।
फिल्म ‘आरोहण’ से फ़िल्मी सफर शुरू किया
उन्होंने श्याम बेनेगल की फिल्म आरोहण से अपना फ़िल्मी सफर शुरू किया था। इसके बाद उन्होंने शबाना आजमी की आर्ट फिल्म मंडी में भी भूमिका निभाई थी। जाने भी दो यारो और खामोश जैसी फिल्मों में अभिनय किया। ।
पहला नेशनल अवार्ड ‘राख’ के लिए मिला
उनकी पहली नेशनल अवार्ड पानेवाली फिल्म आमिर खान स्टारर राख थी। साल 1992 में आई मणि रत्नम की फिल्म रोजा में उनके अभिनय की समीक्षकों ने खूब प्रसंशा की। उस दौर में हिंदी सिनेमा में हर कोई का दीवाना था। उन्होंने साल 1991 में डॉक्टर की मौत फिल्म की। उसके लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरुस्कार स्पेशल जूरी अवार्ड से भी नवाजा गया।
एक रुका हुआ फैसला
एक रुका हुआ फैसला एक अलग ही अंदाज की फिल्म थी। उसमें लगभग पूरी फिल्म एक ही कमरे में फिल्माई गई। इसमें हत्या के एक मामले में ज्यूरी के सदस्यों की आपस में बहस को रोचक अंदाज में पेश किया गया है। इसमें सबसे मजेदार रोल में पंकज कपूर ही थे। उनका जीभ चाटते हुए और अनूठी भाव भंगिमा आज भी याद आती है। इसमें एक ही मामले मे ं लोगों के अलग अलग तर्क और अनुमान को लेकर पटकथा का तानाबाना बुना गया था। अभी हाल में ही ज्यूरी की बैठक की बहस द ताशकंत फाइल्स में भी दिखाई गई है।
‘मक़बूल’ में लाजवाब अभिनय
फिल्म निर्देशक विशाल भारद्वाज के निर्देशन में बनी फिल्म मक़बूल शायद पंकज कपूर की सबसे बेहतरीन फिल्म कही जा सकती है। इसमें पंकज ने एक गैंगस्टर की भूमिका बड़े ही विश्वसनीय ढंग से निभाई है।
फिल्म ‘मौसम’ से निर्देशन शुरू किया
पंकज ने हिंदी सिनेमा में फिल्म मौसम से अपना निर्देशन डेब्यू किया। इस फिल्म में उनके बेटे शाहिद कपूर और सोनम कपूर नज़र आई थी। हालांकि फिल्म बॉक्स-ऑफिस पर औंधे मुंह गिरी थी।
टीवी करियर
पंकज ने अपने टीवी करियर की शुरुआत 80 के दशक में की थी। उन्होंने करमचंद,नीम का पेड़, आफिस आफिसई जैसे हिट शोज़ में काम किया। ।
प्रसिद्ध फ़िल्में
आरोहण, जाने भी दो यारों,खामोश,मोहन जोशी हाज़िर हो,एक रुका हुआ फ़ैसला ,छतरी चोर,चमेली की शादी,राख, एक डॉक्टर की मौत,राम जाने,मैं प्रेम की दीवानी हूँ।