Madhuri Barthwal : गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर देश के 2022 के पद्म पुरस्कार दिए गए। इसमें कला और संस्कृति के क्षेत्र में पदमश्री पुरस्कार से सम्मानित हुई माधुरी बर्थवाल ने कहा कि उन्हें जीवन भर की तपस्या का फल मिला है। माधुरी बर्थवाल उत्तराखंड की लोक गायिका हैं।
मेरी वर्षों की तपस्या सफल हुई : माधुरी बर्थवाल
समाचार एजेंसी भाषा से बातचीत में माधुरी बर्थवाल बताती है, ‘‘जैसे ही मुझे पता चला कि मुझे पद्मश्री से सम्मानित किया जा रहा है तो मैं बहुत खुश हुई। मुझे लगा कि मेरी इतने वर्षों की तपस्या सफल हुई और आखिरकार उसका फल मिला।’’
Madhuri Barthwal
माधुरी बर्थवाल आगे कहती है कि संगीत में वह ताकत है जो सम्पूर्ण मानव जाति को एकता के सूत्र में बांधती है। उन्होंने कहा कि संगीत के मंच पर न कोई जाति देखी जाती है न ही कोई धर्म।
गढ़वाली गीतों पर कर चुकी हैं शोध
गढ़वाली गीतों में राग—रागनियां विषय पर शोध कर चुकी माधुरी बर्थवाल ने कहा कि उन्हें यह पुरस्कार उनके द्वारा हजारों, उत्तराखंडी लोकगीतों का संरक्षण और उनका संवर्द्धन करने के लिए दिया गया है।
सैकड़ों लोकगीतों का किया संरक्षण
कला और संगीत के क्षेत्र में पद्मश्री पुरस्कार पाने वाली से बर्थवाल का जन्म पौड़ी के यमकेश्वर ब्लॉक के गाँव चाई दमराड़ा में 10 जून 1950 को हुआ। माधुरी बर्थवाल सैकड़ों गढ़वाली, कुमाऊंनी, जौनसारी तथा रुहलखंडी गीतों का संरक्षण किया है।
लॉकडाउन में लिखी पांच किताबें
कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान माधुरी बर्थवाल ने गढ़वाली लोक संगीत पर पांच पुस्तकें लिखीं हैं। इससे पहले 2018 में उन्हें राष्ट्रपति पुरस्कार, नारी शक्ति पुरस्कार, उत्तराखंड रत्न और उत्तराखंड भूषण सहित अन्य पुरस्कार भी मिल चुके हैं।
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