Uttarakhand Health Bulletin 2022 : उत्तराखंड को राज्य बनने के बाद से चार सरकारें अपना कार्यकाल (uttarakhand health bulletin 2022) पूरा कर चुकी हैं। आने वाले दिनों उत्तराखंड की पाँचवीं सरकार का गठन होना है। उत्तराखंड के गठन को 21 साल हो चुके हैं लेकिन आज भी सूबे की स्वास्थ्य व्यवस्था खस्ता हाल है। कहीं दवाई और एंबुलेंस की दूर की बात है सूबे के अस्पतालों में डॉक्टरों की भारी कमी है। अस्पतालों में मेडिकल उपकरणों का भी काफ़ी अभाव है। आज हम इस रिपोर्ट में उत्तराखंड के स्वास्थ्य व्यवस्ता की पोल खोलेंगे।
Uttarakhand Health Bulletin 2022
स्वास्थ्य पर जीडीपी का एक प्रतिशत खर्च करता है उत्तराखंड
अगर हम राज्य में स्वास्थ्य पर होने वाले खर्च की बात करें तो उत्तराखंड जीडीपी का सिर्फ एक प्रतिशत ही है। उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों के हालात तो और भी बद्दतर है। खराब सड़कों की वजह से समय पर एंबुलेंस भी नहीं पहुंच पाती है, जिसकी वजह से कई बार बड़ी अनहोनी भी हो जाती है। उत्तराखंड के स्वास्थ्य बजट की तुलना दूसरे पहाड़ी राज्यों से करें तो वो हिमाचल, जम्मू-कश्मीर औऱ पूर्वोत्तर के राज्यों से बेहद कम है।
उत्तराखंड से 72 प्रतिशत ज़्यादा खर्च करता है हिमाचल प्रदेश
उत्तराखंड की स्वास्थ्य सुविधाओं में कमी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता कि राज्य के स्वास्थ्य विभाग में हजारों पद खाली पड़े हैं।
2021-22 के जारी बजट के अनुसार 24,451 पदों में से 8 हजार से ज्यादा पदों पर नियुक्ति नहीं हो पाई है। स्वास्थ्य सेवाओं में हिमालयी राज्यों में अरुणाचल प्रदेश ने तीन वर्षों में सबसे ज्यादा रुपये 28,417 प्रति व्यक्ति खर्च किये, जबकि उत्तराखंड ने मात्र रुपये 5,887 खर्च किये। यहां तक कि पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश ने भी में उत्तराखंड से 72% ज्यादा खर्च किया था।
स्वास्थ्य सेवाओं पर कम खर्च
उत्तराखंड में साल 2001-02 से लेकर 2020-21 तक राज्य सरकार स्वास्थ्य सेवाओं पर 22,982 करोड़ खर्च करने का वादा किया था लेकिन 2019-20 के आंकड़ों पर नजर डालें तो राज्य सरकार ने 18,697 करोड़ रूपए ही खर्च कर पाई। जब कोरोना वायरस से पूरी दुनिया की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई थी ऐसे में स्वास्थ्य सुविधाओं को सुदृढ़ किसी भी राज्य के लिए पहली प्राथमिकता होनी चाहिए।
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