सनराइजर्स के अपने साथियों से पूछूंगा कि वे मुझे कालू क्यों कहते थे : डैरेन सैमी

Darren Sammy ipl - CricTracker

अमेरिका में नस्लभेद विरोधी प्रदर्शनों के बीच वेस्टइंडीज के दिग्गज क्रिकेट खिलाड़ी डैरेन सैमी ने आईपीएल में अपनी पूर्व टीम सनराइजर्स हैदराबाद के भीतर नस्लभेद का आरोप लगाया है. एक वीडियो जारी कर उन्होंने कहा है कि हाल में उन्हें उस शब्द का अर्थ मालूम हुआ है जो आईपीएल के दौरान उनकी टीम के साथी उन्हें बुलाने के लिए इस्तेमाल करते थे. डैरेन सैमी के मुताबिक इससे पहले कि वे नाम लें, ये खिलाड़ी खुद ही उन्हें बता दें कि वे ऐसा क्यों करते थे.
वेस्टइंडीज क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान डैरेन सैमी का कहना है कि उन्हें जब भी इस नाम से बुलाया जाता था तो उनके बाकी साथी खिलाड़ी हंसते थे. उनके मुताबिक तब उन्हें नहीं पता था कि यह शब्द काले लोगों को अपमानजनक तरीके से बुलाने के लिए इस्तेमाल होता है. अपने वीडियो में उन्होंने कहा है, ‘मुझे लगता था कि साथी लोग हंस रहे हैं तो यह जरूरत कुछ मजाकिया बात होगी. लेकिन अब मुझे पता चला है कि यह अपमानजक था.’ डैरेन सैमी के मुताबिक वे इन खिलाड़ियों से संपर्क कर सच्चाई पूछेंगे.
इससे पहले भी डैरेन सैमी ने एक पोस्ट में कहा था कि उन्हें और श्रीलंका के थिसारा परेरा को सनराइजर्स हैदराबाद के खिलाड़ी कालू कहकर बुलाते थे. वेस्टइंडीज के पूर्व कप्तान के मुताबिक तब उन्हें लगता था कि इस शब्द का मतलब तगड़ा घोड़ा है, लेकिन अब सच जानकर उन्हें गुस्सा आ रहा है.
डैरेन सैमी के इस बयान पर सनराइजर्स हैदराबाद में उनके साथी रहे कुछ खिलाड़ियों की प्रतिक्रियाएं भी आई हैं. खबरों के मुताबिक इरफान पठान का कहना है कि उन्हें इस तरह की चीजों के बारे में पता नहीं क्योंकि इनके बारे में कभी खुलकर बात नहीं हुई. हालांकि उनका कहना था कि घरेलू क्रिकेट में ऐसी बातें होती हैं और वहां पर खिलाड़ियों को इस मुद्दे पर समझाए जाने की जरूरत है.
सनराइजर्स में डैरेन सैमी के साथ खेल चुके पार्थिव पटेल का भी कहना है कि उन्होंने किसी को भी इस तरह के अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल करते हुए नहीं सुना. कुछ ऐसी ही बात वेणुगोपाल राव ने भी कही है.
इस विवाद पर बीसीसीआई की प्रतिक्रिया भी आई है. संस्था के कोषाध्यक्ष अरुण धूमल ने कहा, ‘यह घटना कई साल पहले की हो सकती है और हमें नहीं पता इसके पीछे जिम्मेदार कौन है, लेकिन हम अपने अपने खिलाड़ियों को हमेशा बताते हैं कि उन्हें नस्लीय विवाद से दूर रहना है.’
Source – Satyagrah

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