- विवेक शुक्ला
पंजाब में कल विधान सभा चुनाव के लिए मतदान होगा और हम तलाश रहे हैं दिल्ली के आठ खासमखास पंजाबियों को। इस लिहाज से पहला नाम अजय बिजली का लेना होगा। करोल बाग के पास रोहतक रोड के अपने पुश्तैनी घर में रहने वाले अजय बिजली ने देश को पीवीआर सिनेमा का कल्चर दिया। उनके पास लगभग 800 पीवीआर सिनेमा घरों का स्वामित्व है।
सुनील मित्तल
पंजाबी में ही बातचीत करना पसंद करने वाले सुनील भारती मित्तल इस लिस्ट में तो अवश्य रहेंगे । इसलिए नहीं कि वे देश के चोटी की टेलीकॉम कंपनी भारती एयरटेल के फाउंडर चेयरमेन हैं, इसलिए भी नहीं कि वे देश के सबसे धनी इंसानों में से एक हैं। इसलिए क्योंकि वे जब किसी विषय पर बोलते हैं, तो उसे सुनना पड़ता हैं। उन्होंने आईआईटी दिल्ली को रिसर्च के लिए 100 करोड़ रुपए की सहयोग राशि दी है। लुधियाना से तीसेक साल पहले दिल्ली आए सुनील मित्तल रोज अपने भाइयों के साथ बैठते हैं।
डॉ नरेश त्रिहेन
टूटे दिलों को जोड़ने वाले मेदांता अस्पताल के चेयरमेन डॉ नरेश त्रिहेन को कौन नहीं जानता। म़ॉडर्न स्कूल के स्टुडेंट रहे डॉ त्रिहेन ने पहले एस्कॉर्ट्स अस्पताल और फिर गुरुग्राम में मेदांता को स्थापित किया। उनके पिता का हनुमान रोड पर अपना क्लीनिक था। उनका बचपन हनुमान रोड में ही बीता.
कपिल दा जवाब नहीं
कपिल देव 1984 से दिल्ली में बस गए थे।1983 का वर्ल्ड कप जीतने वाली भारतीय टीम के महान आल राउंडर कपिल देव सुंदर नगर में रहते हैं और गोल्फ क्लब में लगभग रोज मिलते हैं। राजमा –चावल के प्रति उनकी निष्ठा उन्हें पक्का पंजाबी सिद्ध करती है। उनके दिल्ली में बसने की यह थी कि तब चंडीगढ़ से दिल्ली की सिर्फ एक फ्लाइट हुआ करती थी। दिल्ली में क्रिकेट के खेलने के सिलसिले में बार-बार आना होता था। सड़क के रास्ते से आने के बाद खेलना आसान नहीं होता था।
कपिल देव के लिए चंडीगढ़ के अपने संयुक्त परिवार को छोड़ना मुश्किल था। पर कोई विकल्प भी नहीं था। दिल्ली में इतने साल गुजारने के बाद भी कपिल में छोटे शहर के संस्कार और नैतिकताएं बची हैं। वे उन्हें बहुत प्रिय हैं। वे अपने पास आने वालों को विदा करने के लिए उसकी कार तक छोड़ने अवश्य जाते हैं। ये कपिल देव का अंदाज है। ये नहीं हो सकता कि वे शाम को घर में हों और उनसे उनका कोई दोस्त मिलने ना आए। जो घर आएगा उसे पंजाबी डिशेज मिलेंगी। बिना डिनर किए बगैर उसे जाने की इजाजत नहीं होती।
कौन हैं डोनर सिंह
सोशल वर्कर जितेन्द्र सिंह शंटी की पहचान अखिल भारतीय स्तर पर होने लगी है। विवेक विहार निवासी शंटी गुजरे 25 सालों से लावरिस शवों का अंतिम संस्कार करवा रहे हैं। उन्होंने खुद अपने हाथों से सैकड़ों लावरिस लोगों का अंतिम संस्कार किया है। शंटी ने अब तक 100 से अधिक बार रक्त दान करके एक कीर्तिमान भी बनाया है। पदमश्री पुरस्कार से सम्मानित शंटी को डोनर सिंह भी कहा जाता है। वे कोरोना काल में भी अपने साथियों के साथ दिन-रात दिल्ली की सेवा कर रहे हैं।
मणिका बत्रा
मेजर ध्यान चंद खेल रत्न पुरस्कार विजयी टेबल टेनिस खिलाड़ी मणिका बतरा भी देश और दिल्ली की शान हैं। उन्होंने ओलंपिक, कॉमनवेल्थ तथा एशियाई खेलों में भारत की नुमाइंदगी की है। उनका प्रदर्शन हर जगह सराहनीय रहा है। हंसराज कुलाची स्कूल में पढ़ीं मणिका बतरा से देश अभी कुछ धमाकेदार प्रदर्शन की उम्मीद कर सकता है।
हिन्दी की सेवा करने वाला खाटी पंजाबी – प्रताप सहगल
दिल्ली के पंजाबी समाज का बेहद जाना-पहचाना नाम है प्रताप सहगल । वे अप्रतिम कवि, मूर्धन्य नाटककार, कथाकार,अनुवादक और अध्यापक हैं। सहगल साहब का जन्म मौजूदा पाकिस्तान के झंग शहर में हुआ था। उनकी मां बोली पंजाबी है, पर वे लिखते हिन्दी में हैं! मैथिलीशरण गुप्त पुरस्कार और हिंदी अकादमी से सम्मानित प्रताप सहगल की मातृभाषा पंजाबी है, पर वे गुजरी आधी सदी से भी अधिक समय से लिख रहे रहे हैं पंजाबी में। उनके नाटक ‘अन्वेषक’,’ रामानुजन’, ‘बुल्लेशाह’ का सफल मंचन देश भर में हुआ है।
प्रो. रियाज़ उमर
ना जाने क्यों दिल्ली में पंजाबी का मतलब हिन्दू या सिख ही माना जाता है। यह सोच गलत है। प्रो. रियाज उमर दिल्ली पंजाबी सौदागरान समाज के पुराण पुरुष हैं। वे लगभग चालीस सालों तक जाकिर हुसैन दिल्ली कॉलेज में पढ़ाते रहे। इसके प्रिंसिपल भी रहे। वे कनॉट प्लेस के मरीना होटल के मालिक भी हैं। बता दें कि इसी होटल में नाथूराम गोडसे और उनके साथ गांधी जी की हत्या करने से पहले ठहरे थे।
रियाज उमर साहब गुजरे दशकों से राजधानी में कई स्कूलों का मैनेजमेंट देख रहे हैं। उनकी शख्सियत किसी संत की तरह की है। वे अपना सारा धन समाज को दे चुके हैं।
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