भारतीय सेना की पहल हुई सफल, कश्मीर में आतंकी भर्ती में काफी गिरावट

Khalistani groups funding terror activities in Kashmir through ...

कश्मीर में अपने ही घर यानी देश की सीमा के अंदर पैदा होने वाले आतंकवाद में उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई है। सुरक्षा एजेंसियों द्वारा संकलित और आईएएनएस द्वारा परखे गए आंकड़ों में यह बात सामने आई है।

विवरण से पता चलता है कि 2018 से आतंकी संगठनों में स्थानीय लोगों की भर्ती में गिरावट देखी गई है।

जहां 2018 के दौरान कुल 219 कश्मीरी आतंकवाद में शामिल हो गए थे, वहीं 2019 में इनकी संख्या घटकर 119 पर आ गई। कश्मीरी आतंकवादियों की भर्ती में तब से गिरावट दर्ज की जा रही है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, मई 2020 तक केवल 35 कश्मीरियों ने ही आतंकवाद के रास्ते को अपनाया है।

हालांकि स्थानीय आतंकवादियों में गिरावट दर्ज जरूर की गई है, मगर नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर संघर्षविराम उल्लंघन लगातार हो रहे हैं। पिछले तीन वर्षों में संघर्षविराम उल्लंघन में काफी वृद्धि हुई है।

साल 2018 में एलओसी पर पाकिस्तान द्वारा 1,629 संघर्षविराम उल्लंघन किए गए, जो 2019 में लगभग दोगुनी रफ्तार से बढ़कर 3,168 हो गए। इस साल मई तक पाकिस्तान ने 1,547 संघर्षविराम उल्लंघनों का सहारा लिया है।

इस बीच जम्मू एवं कश्मीर में आतंकी गतिविधियों में वृद्धि देखी गई है, मगर साथ ही भारतीय बलों ने भी हर बार इसका मुंहतोड़ जवाब दिया है।

विवरण से पता चलता है कि 2018 में कश्मीर में कई आतंकवाद विरोधी अभियानों और मुठभेड़ों में 215 आतंकवादी मारे गए थे।

वहीं 2019 में 152 आतंकवादी मारे गए, जबकि मई 2020 तक 64 आतंकवादी ढेर किए जा चुके हैं।

इन 64 आतंकवादियों में से 22 हिजबुल मुजाहिदीन के थे, आठ लश्कर-ए-तैयबा और आठ जैश-ए- मोहम्मद से जुड़े हुए थे। मारे गए आतंकवादियों में करीब 20 की पहचान नहीं हो पाई, जबकि तीन अंसार गजवत उल हिंद (एजीयूएच) और तीन आईएसजेके से जुड़े हुए थे।

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